क़लम में स्याही डाल
लिख डाल
काग़ज़ पर उँड़ेल हाल
लिख डाल।
अनकही कहानियाँ
तुमको जो सुनानी हैं
दिल की परेशनियाँ
करती जो अंदर बवाल
लिख डाल।
दर्द जो सताते हैं
टीस ले के आते हैं
साये जो डराते हैं
सारे डर बाहर निकाल
लिख डाल।
टूटे हुए सपनों को
बेगाने हुए अपनों को
दिल में ना रख
फेंक दे बाहर निकाल
लिख डाल।
हो सके तो भूल जा
हो सके तो माफ़ कर
पर एक बार काग़ज़ पर
सभी का हिसाब कर
फिर फाड़ कर हिसाब को
साफ़ कर कूड़े में डाल
तब नयी कोई बात कर
ख़ुद से मुलाक़ात कर
इतिहास की ना बात कर
नयी शुरुआत कर
डोर अपनी ख़ुद सम्भाल
तेरी कहानी है बेमिसाल
लिख डाल।