मुंबई शहर। चित्र : मृदुल प्रभा @writingdoll fotografie |
नाशिक पार से किसान आए हैं
गूंगे बहरों के इस शहर में
कहने अपनी दास्तान आए हैं
मुंबई शहर में मेहमान आए हैं
नाशिक पार से किसान आए हैं
नाशिक पार से किसान आए हैं
यह दाना दाना बोते हैं
फसलों संग जगते सोते हैं
कम पैसों में फसल बेच के
खून के आंसू रोते हैं
अपनी मेहनत का सही दाम हो
ढूंढने कोई समाधान आए हैं
मुंबई शहर में मेहमान आए है
नाशिक पार से किसान आए हैं
फसलों संग जगते सोते हैं
कम पैसों में फसल बेच के
खून के आंसू रोते हैं
अपनी मेहनत का सही दाम हो
ढूंढने कोई समाधान आए हैं
मुंबई शहर में मेहमान आए है
नाशिक पार से किसान आए हैं
पांव में इनके छाले हैं
हौसले इन के निराले हैं
तपती सड़क पर मिलो चल कर
छोटे बच्चे घरवाले लेकर
एक सच्चे वादे के लिए
छोड़ कर खेत और खलिहान आए हैं
मुंबई शहर में मेहमान आए हैं
नाशिक पार से किसान आए हैं
हौसले इन के निराले हैं
तपती सड़क पर मिलो चल कर
छोटे बच्चे घरवाले लेकर
एक सच्चे वादे के लिए
छोड़ कर खेत और खलिहान आए हैं
मुंबई शहर में मेहमान आए हैं
नाशिक पार से किसान आए हैं
शायद कोई अंकुर फूटे
शायद फल जाए मेहनत इनकी
सियासत की बंजर धरती पर
आशा का बीज बोने नादान आए हैं
मुंबई शहर में मेहमान आए हैं
नाशिक पार से किसान आए हैं
शायद फल जाए मेहनत इनकी
सियासत की बंजर धरती पर
आशा का बीज बोने नादान आए हैं
मुंबई शहर में मेहमान आए हैं
नाशिक पार से किसान आए हैं
धरती में जीवन बोने वाले
मरने को मजबूर हैं
और शहरों में रहने वाले
सच्चाई से दूर हैं
इसलिए लाल झंडे लेकर
हरे खेत को छुट्टी देकर
हक मांगने आए हैं
नहीं लेने किसी का एहसान आए हैं
मुंबई शहर में मेहमान आए हैं
नाशिक पार से किसान आए हैं
मरने को मजबूर हैं
और शहरों में रहने वाले
सच्चाई से दूर हैं
इसलिए लाल झंडे लेकर
हरे खेत को छुट्टी देकर
हक मांगने आए हैं
नहीं लेने किसी का एहसान आए हैं
मुंबई शहर में मेहमान आए हैं
नाशिक पार से किसान आए हैं
--मृदुल प्रभा