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Tuesday, March 13, 2018

मुंबई शहर में मेहमान आए हैं


मुंबई शहर।  चित्र : मृदुल प्रभा @writingdoll fotografie
मुंबई शहर में मेहमान आए हैं
नाशिक पार से किसान आए हैं

गूंगे बहरों के इस शहर में
कहने अपनी दास्तान आए हैं
मुंबई शहर में मेहमान आए हैं
नाशिक पार से किसान आए हैं

यह दाना दाना बोते हैं
फसलों संग जगते सोते हैं
कम पैसों में फसल बेच के
खून के आंसू रोते हैं
अपनी मेहनत का सही दाम हो
ढूंढने कोई समाधान आए हैं
मुंबई शहर में मेहमान आए है 
नाशिक पार से किसान आए हैं

पांव में इनके छाले हैं
हौसले इन के निराले हैं
तपती सड़क पर मिलो चल कर
छोटे बच्चे घरवाले लेकर
एक सच्चे वादे के लिए
छोड़ कर खेत और खलिहान आए हैं
मुंबई शहर में मेहमान आए हैं
नाशिक पार से किसान आए हैं

शायद कोई अंकुर फूटे
शायद फल जाए मेहनत इनकी
सियासत की बंजर धरती पर
आशा का बीज बोने नादान आए हैं
मुंबई शहर में मेहमान आए हैं
नाशिक पार से किसान आए हैं

धरती में जीवन बोने वाले
मरने को मजबूर हैं
और शहरों में रहने वाले
सच्चाई से दूर हैं
इसलिए लाल झंडे लेकर
हरे खेत को छुट्टी देकर
हक मांगने आए हैं
नहीं लेने किसी का एहसान आए हैं
मुंबई शहर में मेहमान आए हैं
नाशिक पार से किसान आए हैं

--मृदुल प्रभा