लो आ गए गणपति बप्पा 
ढोल नगाड़े धक्कम धक्का 
ट्रैफिक में अटके हैं बप्पा 
यहां के राजा वहां के राजा 
हर एक गली के अपने बप्पा 
विशेष अतिथि का है सम्मान 
और वही मेहमान हैं बप्पा 
कितने रूपों स्वरूपों में 
सर्वव्यापी गणपति बप्पा 
छप्पन भोग लगा लो चाहे 
मोदक खा कर मस्त हैं बप्पा 
मसरूफ लोगों के घर में 
एक आध दिन ठहरते बप्पा 
गौरी मां संग पंचम दिन 
बहुत घरों से जाते बप्पा 
बड़े-बड़े पंडालों में तो 
देखो कैसे सजे हैं बप्पा 
रोशनी की भरमार में 
सारी रात जगे हैं बप्पा 
दस दिन के त्यौहार में
बड़े बड़े इश्तिहार में 
क्या क्या देख रहें हैं बप्पा 
कुछ ने मन से किया भजन 
कुछ फिल्मी धुन में रहे मगन 
सब की मंशा जान रहे हैं 
तर्क समझने वाले बप्पा 
कौन हैं करते उनकी पूजा
और जो करते काम दूजा 
कुछ भी उन से छिपा नहीं है 
सभी जानते गणपति बप्पा 
अनंत चतुर्दशी के दिन 
अनंत में समा जाते बप्पा 
अगले वर्ष लौटने का 
वादा करके जाते बप्पा
मन की आंखों से देखो तो 
अपने भीतर बसते बप्पा 
सच्चे मन से नमन करो तो 
बस पुलकित हो जाते बप्पा 
बप्पा कहीं नहीं जाते हैं
कहीं नहीं जाते हैं बप्पा 
—-मृदुल प्रभा

